रोहतक/सुरेंद्र सिंह
भारतीय कबड्डी टीम के कप्तान दीपक हुड्डा को जल्द ही अर्जुन अवॉर्ड मिलने वाला है. इससे दीपक हुड्डा बेहद खुश हैं, हरियाणा सरकार की खेल नीति की तारीफ करते हुए दीपक हुड्डा का दर्द भी छलकता है.
वे कहते हैं कि खेल मंत्री से मिलने के बावजूद पांच साल से ना नोकरी मिली है और ना ही सम्मान राशिय दीपक हुड्डा ने सरकार से जल्द से जल्द मदद की गुहार लगाई है. दीपक ने कहा कि राष्ट्रीय सम्मान, अर्जुन अवॉर्ड की चाहत हर खिलाड़ी को होती है. उन्होंने कहा कि भविष्य में भी देश के लिए बेहतर प्रदर्शन कर गोल्ड मेडल लाने का प्रयास रहेगा।
हालांकि दीपक हुड्डा नौकरी और आर्थिक मदद नहीं मिलने से थोड़े मायूस भी हैं. दीपक हुड्डा की कप्तानी में भारतीय कबड्डी टीम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पांच गोल्ड और एक ब्रांज मेडल जीत चुकी है.
रोहतक के चमारिया गांव निवासी कबड्डी खिलाड़ी दीपक निवास हुड्डा के सिर से महज चार साल की उम्र में मां का आंचल छिन गया था। कुछ समझ पाते इससे पहले ही पिता भी गुजर गये. घर में कमाने वाला कोई नहीं रहा. बहन के बच्चों को पढ़ाने के लिए दीपक हुड्डा ने अपनी पढ़ाई छोड़ी. अच्छी नौकरी के लिए कबड्डी खेलना शुरू किया.
रात भर स्टेडियम और गली में कुर्सी रखकर, डंडा गाड़कर उन्हें खिलाड़ी समझ अभ्यास करते थे. हार नहीं मानने वाले खिलाड़ी में जिद और जुनून इतना है कि हर मुश्किल पार कर भारतीय कबड्डी टीम का नेतृत्व हासिल कर देश को गोल्ड मेडल दिलाया. दीपक की कप्तानी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय कबड्डी टीम पांच गोल्ड और एक ब्रांज मेडल दिला चुके हैं.
कबड्डी कोच दिनेश खरब ने कहा कि दीपक बहुत अच्छी कबड्डी खेल रहा है. जिस तरीके से इसकी तैयारियां चल रही हैं, उसे देखकर उमीद है कि भारत के लिए गोल्ड मेडल ले कर आएगा और देश का नाम रोशन करेगा.