नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के लिए 5 अगस्त 2019 का दिन एक नया इतिहास बनकर आया। केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए कश्मीर से धारा 370 हटाने का ऐलान किया। गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में इसकी सिफारिश की और संकल्प (बिल) पेश किय़ा। इसके साथ ही उन्होंने राज्य के विघटन की घोषणा की। इस दौरान लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाने की सिफारिश की और जम्मू-कश्मीर को भी अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने की सिफारिश की। जम्मू-कश्मीर की अपनी विधायिका होगी, जबकि लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी। इस बिल को सदन में पेश करने से पहले ही राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी थी।
अमित शाह ने कहा कि सरकार ने इन संवैधानिक प्रावधानों का इस्तेमाल पहली बार नहीं किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस 1952 और 1962 में इन्हीं तरीकों से अनुच्छेद-370 को बदल चुकी है. वही रास्ते पर हम आए हैं.
विपक्ष ने किया हंगामा
अमित शाह के संकल्प पढ़ने के बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया। पीडीपी सांसद ने विरोध में सदन के अंदर ही अपने कपड़े फाड़ दिए। कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि भाजपा सरकार ने संविधान की हत्या की है। कांग्रेस के साथ ही टीएमसी और डीएमके ने भी विरोध किया।
शाह ने बताया क्यों नहीं हुआ धारा 370 पर पहले फैसला ?
सदन में अमित शाह ने कहा कि ये धारणा गलत है कि धारा 370 की वजह से कश्मीर भारत के साथ है। अमित शाह ने कहा कि कश्मीर भारत के विलय पत्र की वजह से है जिसपर 1947 में हस्ताक्षर किया गया था। गृह मंत्री ने कहा कि वोट बैंक की वजह से इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया, लेकिन हमारे पास इच्छा शक्ति है और हम वोट बैंक की परवाह नहीं करते हैं। अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद-370 को हटाने में अब एक सेकेंड की भी देरी नहीं करनी चाहिए.