हरियाणा में एक समय ऐसा था जब इनेलो मुख्या विपक्षी पार्टी के रूप में जानी जाती थी. लेकिन पिछले लंबे समय से इनेलो पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. पार्टी के विधायक व अन्य नेता दूसरे दलों की ओर रुख कर रहे हैं. इनेलो को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब अशोक अरोड़ा ने आज पार्टी को अलविदा कह दिया. प्रदेश में विधान सभा चुनाव में महज कुछ ही समय बचा है.
ऐसे में बड़े नेताओं का पार्टी छोड़ कर जाना शुभ संकेत नहीं है. अशोक अरोड़ा ने तकरीबन तीन दशक पहले अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत इनेलो पार्टी से की थी साथ ही वो पार्टी कैडर के सबसे बड़े नेता माने जाते थे.
अशोक अरोड़ा ने जब मंच से पार्टी छोड़ने की घोषणा की तो उनकी आंखों में आंसू थे. अशोक अरोड़ा ने कहा कि, जो मान-सम्मान उनको इनेलो में मिला है, उसकी कीमत वो चुका ही नहीं सकते और पार्टी छोड़ने का निर्णय उनके लिए बहुत कठिन है पर जो हालात चल रहे हैं उसके चलते कोई न कोई निर्णय लेना होगा. बरहाल कुछ कार्यकर्ता भी उस समय भावुक नजर आए और भीड़ में हर शख्स अशोक अरोड़ा के मुंह से यह सुनना चाहता था कि वो किस पार्टी में जाएंगे अब तक इनेलो को लगातार झटके लगते आ रहे हैं पर यह झटका इनेलो को हरियाणा में बर्फ में उतार देगा क्योंकि अशोक अरोड़ा वो नेता हैं जिन्होंने इनेलो पार्टी को अपने खून पसीने से सींचा है और इस बात को उन्होंने माना भी के जो प्यार इनेलो में मिला वो ओम प्रकाश चौटाला ने सगे बेटे और पोतों को भी नहीं दिया और अब देखने वाली बात यह रहेगी की अशोक अरोड़ा के साथ कौन कौनसे बड़े चहरे इनेलो को छोडेंगे.